Jangal Ki Bhutiya Kahani

 जंगल की भूतिया कहानी


यह कहानी एक छोटे से गाँव के पास के घने और खौ़फनाक जंगल की है। गाँववाले हमेशा इस जंगल से डरते थे, क्योंकि वहाँ अक्सर अजीब घटनाएँ घटती थीं। कहते थे कि जंगल के बीचों-बीच एक पुराना और जर्जर मंदिर है, जहाँ रात के समय किसी की चीखें सुनाई देती हैं। गाँववाले कभी भी उस दिशा में जाने की हिम्मत नहीं करते थे।


एक दिन, गाँव में एक साहसी युवक, दीपक, आया। उसने सुना था कि इस जंगल में अजीब घटनाएँ घटती हैं, और वह उन घटनाओं की सच्चाई जानने के लिए बहुत उत्सुक था। गाँववालों ने उसे चेतावनी दी, "यह जंगल बुरी शक्तियों से भरा हुआ है। रात में यहाँ जाना तुम्हारे लिए खतरनाक हो सकता है।"


लेकिन दीपक ने किसी की बात नहीं सुनी। उसने तय किया कि वह जंगल में रात बिताएगा और उस रहस्य का पता लगाएगा।


सूरज डूबते ही दीपक ने जंगल की ओर रुख किया। उसकी जेब में एक टॉर्च और कुछ खाने-पीने का सामान था। जंगल में घुसते ही वह अजीब सी खामोशी महसूस करने लगा। एक भी पक्षी की आवाज नहीं आ रही थी, बस हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी। जैसे-जैसे वह जंगल के अंदर बढ़ता गया, उसकी घबराहट भी बढ़ने लगी।


कुछ दूर चलने के बाद दीपक ने एक पुराना मंदिर देखा, जो पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुका था। उसकी दीवारों पर अजीब-अजीब चिन्ह बने थे, और मंदिर के अंदर से एक ठंडी और गहरी आवाज आ रही थी। दीपक ने हिम्मत जुटाकर मंदिर में कदम रखा। जैसे ही वह मंदिर के अंदर पहुँचा, अचानक दरवाजे का लकड़ी का पल्ला बंद हो गया और अंधेरा छा गया।


दीपक ने टॉर्च जलाई, लेकिन टॉर्च की रोशनी भी कुछ दूरी से ज्यादा नहीं पहुँच पा रही थी। तभी उसने देखा कि मंदिर के कोने में एक महिला की आकृति खड़ी थी। उसकी आँखें जलती हुई थीं, और उसके चेहरे पर दर्द और घृणा साफ़ दिखाई दे रही थी। महिला ने धीमे-धीमे दीपक की ओर बढ़ते हुए कहा, "तुमने यहाँ आकर अपनी मौत को दावत दी है।"


दीपक डर से कांपते हुए पीछे हटने लगा, लेकिन वह खड़ा नहीं हो पाया। उसकी टॉर्च की रोशनी धुंधली होने लगी और मंदिर की दीवारों से आवाजें सुनाई देने लगीं। अचानक, महिला के हाथ से खून बहने लगा, और वह उसकी ओर बढ़ी। दीपक ने डरते-डरते मंदिर से बाहर भागने की कोशिश की, लेकिन बाहर जाने का रास्ता जैसे बंद हो चुका था। चारों ओर सिर्फ अंधेरा था और उस अंधेरे में महिला की चीखें गूंज रही थीं।


दीपक ने घबराते हुए अपनी आखिरी कोशिश की और अपनी टॉर्च की रोशनी से बाहर निकलने का रास्ता देखा। उसने दौड़ते हुए उस रास्ते से बाहर निकलने की कोशिश की, और अचानक उसने देखा कि वह जंगल के बाहर पहुँच चुका था।


जब दीपक गाँव वापस लौटा, तो उसकी हालत ऐसी थी कि गाँववालों ने तुरंत समझ लिया कि वह किसी खौ़फनाक अनुभव से गुजर चुका है। दीपक ने सभी को बताया कि मंदिर में एक महिला की आत्मा फंसी हुई है, जो जो भी उस जंगल में जाता है, उसे खींच लाती है।


आज भी वह जंगल खड़ा है, और कोई भी उस रास्ते से गुजरने की हिम्मत नहीं करता। गाँववाले कहते हैं कि रात के समय अब भी उस जंगल में महिला की ची

खें सुनाई देती हैं।

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